जेहि षोजत कल्पौ गया । घटहि माहि सो मूर ।
बाढी गर्व गुमान ते । ताते परिगौ दूर ।
दस द्वारे का पीँजरा तामें पक्षी पौन ।
रहबे को आचरज है जात अचंभौ कौन ।
रामहि सुमिरे रन भिरे । फिरै और की गैल ।
मानुस केरी षोलरी । ओढे फिरत है बैल ।
षेत भला बीजों भला बोइये मूठी फेर ।
काहे बिरवा रुषरा ये गुन षेतहि केर ।
गुरु सीढी से ऊतरे सब्द बिमूषा होए ।
ताको काल घसीटि है राषि सके नहिं कोए ।
भुभुरी घाम बसै घट माहीँ । सब कोई बसै सोग छाहीँ ।
जो मिला सो गुरु मिला । सिष्य मिला नहिं कोए ।
छौ लाष छानबे रमैनी । एक जीव पर होए ।
जहँ गाहक तहँ हौं नहीं हौं तहँ गाहक नाहिं ।
बिन बिवेक भटकत फिरे पकडि सब्द की छाहिं ।
नग पषान जग सकल है पारष बिरला कोए ।
नग ते उत्तम पारषी जग में बिरला होए ।
सपने सोया मानवा, षोलि जो देषा नैन ।
जीव परा बहु लूट में, ना कछु लेन न देन ।
नस्टै का यह राज है । नफर की बरते तेज ।
सार सब्द टकसार है । हृदया माँहि बिबेक ।
जब लग बोला तब लग डोला । तब लग धन ब्यौहार ।
डोला फूटा बोला गया । कोई न झांके द्वार ।
कर बंदगी विवेक की । भेस धरे सब कोए ।
सो बंदगी बहि जान दे । जहँ सब्द बिबेकी न होए ।
सुर नर मुनि औ देवता । सात दीप नव षंड ।
कहैं कबीर सब भोगिया । देह धरे को दंड ।
जब लग दिल पर दिल नहीं । तब लग सब सुष नाहिं ।
चारिउ जुगन पुकारिया । सो स्वरूप दिल माहिं ।
जंत्र बजावत हौं सुना । टूटि गया सब तार ।
जंत्र बिचारा क्या करे । गया बजावन हार ।
जो तूं चाहे मुझको । छाड सकल की आस ।
मुझ ही ऐसा होय रहो । सब सुष तेरे पास ।
साधु भया तो क्या भया । बोलै नाहिं बिचार ।
हतै पराई आत्मा । जीभ बाँधि तलवार ।
हंसा के घट भीतरे । बसे सरोवर षोट ।
चलै गाँव जहँवाँ नहीं । तहाँ उठावन कोट ।
मधुर वचन हैं औसधी । कटुक बचन है तीर ।
स्रवन द्वार होय संचरे । सालै सकल सरीर ।
ढाढस देषो मर जीव को । धौ जुडि पैठि पताल ।
जीव अटक मानै नहीं । ले गहि निकरा लाल ।
ई जग तो जहडे गया । भया जोग न भोग ।
तिल झारि कबिरा लेई । तिलाटी झारे लोग ।
ये मरजीवा अमृत पीवा । क्या धसि मरसि पतार ।
गुरु की दया साधु की संगति । निकरि आव एहि द्वार ।
केते बुन्द हलफो गये । केते गये बिगोए ।
एक बुन्द के कारने । मानुस काहे के रोए ।
3 टिप्पणियां:
इस नए ब्लॉग के साथ आपका हिंदी चिट्ठाजगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
धन्यवाद राजीव जी ।
Vinayji ke wyaktitv ka yah ek naya pahlu samne aaya. Unse milne kee ichha ho rahi hai.
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