गुरू पारब्रह्म परमेश्वर, निखलेश्वरमय जग सारा।
गुरू नाम जपे हर धङकन, बोले मन का इकतारा।
ओम गुरू, ओम गुरू, ओम गुरू।
गुरू दोष मेरे सब लेलो, मेरे अंतर के पट खोलो।
बस जाओ मेरे ह्रदय में, मुझे अपनी शरण में लेलो।
मेरा मन माया में भटके, तुम दे दो जरा सहारा।
गुरू नाम जपे हर धङकन, बोले मन का इकतारा।
ओम गुरू, ओम गुरू, ओम गुरू।
मैं भटक न जाऊं पथ से, मेरी बांहे थामे रखना।
तुम समरथ हो मेरे गुरूवर, केवल ये ध्यान में रखना।
मेरा कुछ भी नहीं है जग में, जो है गुरूदेव तुम्हारा।
गुरू नाम जपे हर धङकन, बोले मन का इकतारा।
ओम गुरू, ओम गुरू, ओम गुरू।
जब से गुरू शरण मिली है, देखा गुरू रूप तुम्हारा।
भाता ही नहीं है मुझको, दुनिया का कोई नजारा।
नहीं बोल फ़ूटते मुख से, बहती है केवल धारा।
गुरू नाम जपे हर धङकन, बोले मन का इकतारा।
ओम गुरू, ओम गुरू, ओम गुरू।
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