शब्द 9
संतो बोले ते जग मारै ।
अनबोलते कैसे बनिहै, सब्दहि कोइ न बिचारै ।
पहिले जन्म पुत्र को भयऊ, बाप जन्मिया पाछे ।
बाप पूत कै एकै नारी, ई अचरज को काछे ।
दुंदा राजा टीका बैठे, बिषहर करे षबासी ।
स्वान बापुरा धरनि ढाकनों, बिल्ली घर में दासी ।
कार दुकार कार कटि आगे, बैल करै पटवारी ।
कहैं कबीर सुनो हो संतो, भैंसे न्याव निबारी ।
शब्द 10
संतो राह दुनो इम दीठा ।
हिन्दू तुर्क हटा नहिं मानै, स्वाद सबन को मीठा ।
हिन्दू बरत एकादसी साधै, दूध सिंघारा सेती ।
अन्न को त्यागै मन नहिं हटकै, पारन करै सगौती ।
तुरुक रोजा निमाज गुजारै, बिसमिल बांग पुकारै ।
इन्हको भिस्त कहां ते होवे, जो सांझै मुगरी मारै ।
हिन्दु की दया मेहर तुर्कन की, दूनो घट से त्यागी ।
ये हलाल वै झटका मारैं, आगि दुनो घर लागी ।
हिन्दु तुर्क की एक राह है, सतगुरु सोइ लषाई ।
कहै कबीर सुनहु हो संतो, राम न कहूँ षोदाई ।
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