शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

कलि में ब्राह्मन षोटे


शब्द 11
संतो पांडे निपुन कसाई ।
बकरा मारि भैंसा पर घावे, दिल में दर्द न आई ।
करि असनान तिलक दै बैठे, विधि से देवी पुजाई ।
आतम मारि पलक में बिनसे, रुधिर कि नदी बहाई ।
अति पुनीत ऊँचे कुल कहिये, सभा मांहि अधिकाई ।
इन्हते दीक्षा सब कोई मांगै, हंसि आवै मोहिं भाई ।
पाप कटन को कथा सुनावै, कर्म करावै नीचा ।
बूडत दोउ परस्पर देषा, यम लाये हैं षींचा ।
गाय बधे तेहि तुरका कहिये, इन्हते वै क्या छोटे ।
कहैं कबीर सुनो हो संतो, कलि में ब्राह्मन षोटे ।

शब्द 12
संतो मते मातु जन रंगी ।
पियत पियाला प्रेम सुधारस, मतवाले सतरंगी ।
अर्ध ऊर्ध ले भट्ठी रोपिनि, लेत कसारस गारा ।
मूंदे मदन काटि कर्म कस्मल, संतन चुवत अगारी । कस्मल ?
गोरषदत्त बसिस्ट व्यास कवि, नारद सुक मुनि जोरी ।
बैठे सभा संभु सनकादिक, तहँ फिरे अधर कटोरी ।
अंबरीष औ याग्य जनक जड, सेष सहस्र मुष फाना ।
कहलों गनों अनंत कोटि लों, अमहल महल दिवाना ।
ध्रुव प्रहलाद बिभीषन माते, माती सेवरी नारी ।
निर्गुन ब्रह्म मते बृन्दावन, अजहूँ लागु षुमारी ।
सुर नर मुनि तिय पीर औलिया, जिन रे पिया तिन्ह जाना ।
कहहिं कबीर गूंगे का शक्कर, क्यों कर कहै बषाना ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।