शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

बेद पुरान किताब कुराना


शब्द 48

पंडित देषहु हृदय बिचारी, को पुरुषा को नारी?
सहज समाना घट घट बोलै, वाको चरित अनूपा ।
वाको नाम काह कहि लीजै, वाके बरन न रूपा?
तैं मैं क्या करसि नर बौरे, क्या तेरा क्या मेरा ।
राम षुदाय सक्ति सिव एकै, कहुँ धौ काहि निबेरा?
बेद पुरान किताब कुराना, नाना भाँति बषाना ।
हिंदू तुरुक जैनी औ योगी, ये कल काहु न जाना ।
छौ दरसन में जो परवाना, तासु नाम मनमाना ।
कहैं कबीर हम हीं पै बौरे, ये सब षलक समाना ।

शब्द 49

बूझ बूझ पंडित पद निर्बान, सांझ परे कहँवा बसे भान ।
ऊँच नीच पर्बत ढेला न ईंट, बिनु गायन तहँवा उठे गीत ।
ओस न प्यास मंदिर नहिं जहँवां, सहस्रौ धेनु दुहावै तहवाँ ।
नित्त अमावस नित संक्रांत, नित दिन नव ग्रह बैठे पाँत ।
मैं तोहि पूछौँ पंडित जना, हृदया ग्रहन लागु केहि षना ।
कहैं कबीर इतनो नहिं जान, कौन सब्द गुरु लागा कान ।

शब्द 50

बूझ बूझ पंडित बिरवा न होय । आधा बसे पुरुष आधा बसे जोय ।
बिरवा एक सकल संसारा, स्वर्ग सीस जर गई पताला ।
बारह पषुरी चौबिस पाता, घन बरोह लागे चहुं पासा ।
फूलै न फलै वाकी है बानी, रैन दिवस बिकार चुवै पानी ।
कहैं कबीर कछु अछलो न तहिया । हरि बिरवा प्रतिपाली न जहिया ।

कोई टिप्पणी नहीं:

WELCOME

मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।