शनिवार, अप्रैल 17, 2010

बादसाह है कौने भेसा


                          रमैनी 48

मानिकपुर कबीर बसेरी, मुद्दति सुनहु सेख तकि केरी ।
ऊजो सुनी जमनपुर थाना, झूठी सुनी पीरन को नामा ।
एकइस पीर लिखे तेहि ठामा, खतमा पढै पैगंमर नामा ।
सुनत बोल मोहि रहा न जाई, देखि मुकर्बा रहा भुलाई?
हबीब औ नबी के कामा, जहं लग अमल सो सबै हरामा ।

सेख अकरदी सेख सकरदी, मानहु बचन हमार ।
आदि अंत औ जुगहि जुग, देखहु दृष्टि पसार ।

                            रमैनी 49

दर की बात कहो दरवेसा, बादसाह है कौने भेसा?
कहां कूच कहं करहि मुकामा, मै तोहि पूछों मूसलमाना ।
लाल जर्द का ताना बाना, कौन सुरत को करहु सलामा?
काजी काज करहु तुम कैसा, घर घर जबह करावहु भैंसा ।
बकरी मुरगी किन्ह फुरमाया, किसके कहे तुम छुरी चलाया?
दर्द न जानहु पीर कहावहु, बैता पढि पढि जग भरमावहु?
कहहिं कबीर य कसयर कहावै, आपु सरीखे जगक बुलावै?

दिन को रोजा रहत है, रात हनत है गाय ।
येहि खून वह बंदगी, क्यों कर खुसी खोदाय ।

                              रमैनी 50

कहते मोहि भइल जुग चारी, समुझत नांहि मोर सुत नारी ।
वंस आगि लगि बंसहि जरिया, भर्म भूलि नर धंधे परिया ।
हस्ति के फंदे हस्ति रहई, मृग के फंदे मिरगा रहई?
लोहे लोह काटु यस आना, त्रिय के तत्व त्रिया पहिचाना?

नारि रचंते पुरुष हैं, पुरुष रचंते नारि ।
पुरुषहि पुरुषा जो रचै, सो बिरले संसार ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।