शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

कहे कबीर सोइ जन मेरा


शब्द 33
हंसा प्यारे सरवर तजि कहँ जाय ।
जेहि सरबर बीच मोतिया चुगते, बहुबिधि केलि कराय ।
सुषे ताल पुरइन जल छाडै, कमल गये कुम्हिलाय ।
कहैं कबीर जो अबकी बिछुरे, बहुरि मिलो कब आय ।

शब्द 34
हरिजन हंस दसा लिय डोलैं, निर्मल नाम चुनि चुनि बोलैं ।
मुक्ताहल लिये चोंच लोभावैं, मौन रहै कि हरि जस गावै ।
मानसरोवर तट के वासी, राम चरन चित अंत उदासी ।
काग कुबुद्धि निकट नहिं आवै, प्रतिदिन हंसा दर्सन पावै ।
नीर छीर का करै निबेरा, कहे कबीर सोइ जन मेरा ।

शब्द 35

हरि मोर पीव मैं राम की बहुरिया । राम मोर बडो मैं तन की लहुरिया ।
हरि मोर रहटा मैं रतन पिउरिया । हरि को नाम लै कतती बहुरिया ।
मास तागा वरष दिन कुकुरी । लोग कहैं भल कातल बपुरी ।
कहैं कबीर सूत भल काता । चरषा न होय मुक्तिकर दाता ?

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।