शनिवार, अप्रैल 17, 2010

बूझै विरला कोय


                            रमैनी 36

ग्यानी चतुर बिचछन लोई, एक सयान सयान न होई ।
दुसर सयान को मर्म न जाना, उतपति परलय रैन बिहाना ।
बानिज एक सभन्हि मिलि ठाना, नेम धर्म संजम भगवाना ।
हरि अस ठाकुर तजियन नहिं जाई, बालन भिस्ति गांव दुलहाई ।

ते नर मरि के कहँ गये, जिन दीन्हो गुर घोंटि ।
राम नाम निज जानि के, छाडहु बस्तू खोटि ।

                            रमैनी 37

एक सयान सयान न होई, दुसर सयान न जानै कोई ।
तीसर सयान सयानहि खाई, चौथ सयान तहाँ लै जाई ।
पचयं सयान न जानै कोई, छठयें में सब गये बिगोई ।
सतयं सयान जो जानै भाई, लोक वेद में देय देखाई ।

बीजक बतावै बित्त को, जो बित गुप्ता होय ।
वैसे शब्द बतावे जीव को, बूझै विरला कोय ।

                             रमैनी 38

यहि बिधि कहौ कहा नहिं माना, मारग माहिं पसारिन ताना ।
रात दिवस मिलि जोरिन तागा, ओटत कातत भर्म न भागा ।
भर्महि सब जग रहा समाई, भर्म छोड कतहूँ नहिं जाई ।
परै ना पूरी दिनहुं दिन छीना, जहाँ जाय तहँ अंग विहीना ।
जो मत आदि अंत चलि आयी, सो मत सबहिन प्रकट सुनायी ।

यह संदेस फुर मानि के, लीन्हेउ सीस चढाय ।
संतो है संतोष सुख, रहहु सो हृदय जुडाय ।

                                रमैनी 39

जिन्ह कलमाँ कलि माहिं पढाया, कुदरत खोजि तिनहु नहिं पाया ।
करमत कर्म करै करतूती, बेद किताब भया अस रीती ।
करमत सो जग भो औतरिया, करमत सो निजाम को धरिया ।
करमत सुन्नति और जनेऊ, हिन्दू तुर्क न जानै भेऊ ।

पानी पवन संजोय के, रचिया यह उत्पात?
सून्यहि सुरति समाय के, कासो कहिये जात ।


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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।