शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

मूरख सों रहिये झख मारी


                            रमैनी 70

बोलना सो बोलिय रे भाई, बोलत ही सब तत्व नसाई?
बोलत बोलत बाढु बिकारा, सो बोलिये जो परै विचारा ।
मिलहिं संत बचन दुइ कहिए, मिले असंत मौन होय रहिए?
पंडित सो बोलिय हितकारी, मूरख सों रहिये झख मारी ।
कहहिं कबीर अर्ध घट डोलै, पूरा होय विचार ले बोले ।

                              रमैनी 71

सोग बंधावा जिन सम माना, ताकी बात इन्द्र नहिं जाना ।
जटा तोरि पहिरावे सेली, योग जुक्ति की गर्भ दुहेली ।
आसन उडाये कौन बडाई, जैसे काग चील्ह मडराई ।
जैसी भीत तैसी हैं नारी, राजपाट सब गनै उजारी ।
जस नरक तस चंदन जाना, जस बाउर तस रहै सयाना ।
तपसी लोग गनै एक सारा, खांड छांडि मुख फांकै छारा ।

यही विचार विचारते, गये बुद्धि बल चेत ।
दुइ मिलि एकै होय रहा, काहि लगाओ हेत ।

                      रमैनी 72

नारी एक संसारहि आई, वाके माय न बापै जाई ।
गोड न मूड न प्राण अधारा, तामे भरमि रहा संसारा ।
दिना सात लै उनकी सही, बुद अदबुद अचरज एक कही ।
ताहि कि बंदन कर सब कोई, बुद अदबुद अचरज बड होई ।

मूस बिलाई एक संग, कहु कैसे रहि जाय ।
अचरज एक देखो हो संतो, हस्ती सिंघहि खाय ।

                          रमैनी 73

चली जात देखी एक नारी, तर गागर ऊपर पनिहारी ।
चली जात वह बाटहि बाटा, सोवनहार के ऊपर खाटा ।
जाडन मरै सपेदी सौरी, खसम न चीन्ह घरनि भौ बौरी ।
साँझ सकार दिया लै बारै, खसमहि छाडि संबरै लगवारै ।
वाही के रस निसिदिन राची, पिया से बात कहै नहिं सांची ।
सोवत छाडि चली पिय अपना, ई दुख अवध कहौं केहि सना ।

अपनी जांघ उघारि के, अपनी कही न जाय?
किं चित जानै आपना, की मेरा जन गाय ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।