शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

मानुस जन्म चुकेहु अपराधी


रमैनी 78

मानुस जन्म चुकेहु अपराधी, यहि तन करे बहुत हैं साझी ।
तात जननि कहैं पुत्र हमारा, स्वारथ जानि कीन्ह प्रतिपारा ।
कामिनि कहैं मोर प्रिय आहीं, बाघिन रूप गरासन चाहीं ।
पुत्र कलत्र रहैं लौ लाई, यम की नांई रहै मुख बाई ।
काग गिद्ध दोउ मरन बिचारैं, सूकर स्वान दुइ पंथ निहारै?
अगिनि कहै मैं ई तन जारों, पानि कहै मैं जरत उबारों ।
धरती कहै मोहिं मिलि जाई, पवन कहै संग लेउं उडाई?
तेहि घर को घर कहै गंवारा, सो बैरी है गले तुम्हारा?
सो तन तुम आपन करि जानी, विषय स्वरूप भूले अग्यानी ।

इतने तन के साझिया, जन्मों भरि दुख पाय ।
चेतत नहीं मुग्ध नर बौरे, मोर मोर गोहराव ।

                          रमैनी 79

बढवत बढी घटावत छोटी, परषत खरा परषावत खोटी ।
केतिक कहौं कहां लौ कही, औरो कहौं परे जो सही ।
कहे बिना मोहि रहा न जाई, बिरहिन लै लै कूकुर खाई ।

खाते खाते युग गया, बहुरि न चेतहु आय ।
कहहिं कबीर पुकारि के, जीव अचेतहिं जाय ।

                              रमैनी 80

बहुतक साहस कर जिय अपना, तेहि साहेब से भेंट न सपना?
खरा खोट जिन नहिं परखाया, चाहत लाभ तिन मूल गंवाया ।
समुझ न परी पातरी मोटी, ओछी गांठि सभै भै खोटी ।
कहै कबीर केहि दैही खोरी, जब चलिहो झिन आसा तोरी ।

                            रमैनी 81

देव चरित्र सुनहु हो भाई, सो ब्रह्मा सो धिऐ नसाई ।
दूजे कहौ मंदोदरि तारा, जेहि घर जेठ सदा लगवारा ।
सुरपति जाय अहिल्यहि छरी, सुरगुरु घरनि चन्द्रमा हरी ।
कहैं कबीर हरि के गुन गाया, कुंतहि करन कुंवारिहि जाया ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।