शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

अल्ला राम करीमा केसव


शब्द 30
भाई रे दो जगदीस कहाँ से आया, कहु कौने बौराया ।
अल्ला राम करीमा केसव, हरि हजरत नाम धराया ।
गहना एक कनक ते गहना, यामें भाव न दूजा ।
कहत सुनत को दुइ करि थापै, एक निमाज एक पूजा ।
वही महादेव वही मुहम्मद ब्रह्मा आदम कहिये ।
को हिन्दू को तुर्क कहावै एक जिमी एक रहिये ।
बेद किताब पढै वै कुतुवा वै मोलाना वै पाँडे ।
बेगर बेगर नाम धराये एक माटी के भाँडे ।
कहैं कबीर ये दूनो भूले रामहि किनहु न पाया ।
वै षसी वै गाय कटावै बादहि जन्म गंवाया ।

शब्द 31
हंसा संसय छूरी कहिया, गइया पिये बछरुवै दुहिया ।
घर घर साउज षेलै अहेरा, पारथ ओटा लेई ।
पानी माँहि तलफि गई भुंभुरी, धूरि हिलोरा देई ।
धरती बरसे बादर भीजै, भीट भये पैराऊँ ।
हंस उडाने ताल सुषाने, चहले बिंदा पाँऊँ ।
जौ लों कर डोलै पग चालै, तौलीँ आस न कीजै ।
कहैं कबीर जेहि चलत न दीसै, तासु बचन क्या लीजै ।

शब्द 32
हंसा हो चित्त चेतु सबेरा, इन्ह परपंच करल बहुतेरा ।
पाषँड रूप रचो इन तिरगुंन, तेहि पाषँड भूलल संसारा ।
घर के षसम बधिक वै राजा, परजा क्या धौ करै बिचारा ।
भक्ति न जाने भक्त कहावैं, तजि अम्रत विष कै लिन सारा ।
आगे बडे ऐसही बूडे, तिनहु न मानल कहा हमारा ।
कहा हमार गांठि दृढ बांधो, निसि बासर रहियो हुसियारा ।
ये कलि गुरू बडे परपंची, डारि ठगोरी सब जग मारा ।
बेद किताब दुइ फंद पसारा, तेहि फंदे परु आप बिचारा ।
कहैं कबीर ते हंसन बिसरै, जेहिमा मिले छुडावनहारा ।


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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।