सोमवार, जून 20, 2011

काजी सो जो काया बिचारै


 (राग सूहौ)

तू सकल गहगरा । सफ सफा दिलदार दीदार ।
तेरी कुदरति किनहूँ न जानी, पीर मुरीद काजी मुसलमानी ।
देवौ देव सुर नर गण गंध्रप, ब्रह्मा देव महेसुर ।
तेरी कुदरति तिनहूँ न जांनी ।

काजी सो जो काया बिचारै, तेल दीप में बाती जारै ।
तेल दीप में बाती रहे, जोति चीन्हि जे काजी कहै ।
मुलना बंग देइ सुर जानी, आप मुसला बैठा तानी ।
आपुन में जे करै निवाजा, सो मुलना सरबत्तरि गाजा ।
सेष सहज में महल उठावा, चंद सूर बिचि तारौ लावा ।
अर्ध उर्ध बिचि आनि उतारा, सोई सेष तिहूँ लोक पियारा ।
जंगम जोग बिचारै जहूँवाँ, जीव सिव करि एकै ठऊवाँ ।
चित चेतनि करि पूजा लावा, तेतौ जंगम नांउ कहावा ।
जोगी भसम करै भौ मारी, सहज गहै बिचार बिचारी ।
अनभै घट परचा सू बोलै, सो जोगी निहचल कदे न डोले ।
जैन जीव का करहू उबारा, कौंण जीव का करहु उधारा ।
कहाँ बसै चौरासी मतै संसारी, तिरण तत ते लेहु बिचारी ।
प्रीति जानि राम जे कहै, दास नांउ सो भगता लहै ।
पंडित चारि वेद गुण गावा, आदि अंति करि पूत कहावा ।
उतपति परलै कहौ बिचारी, संसा घालौ सबै निवारी ।
अरधक उरधक ये संन्यासी, ते सब लागि रहै अबिनासी ।
अजरावर कौ डिढ करि गहै, सो संन्यासी उम्मन रहै ।
जिहि धर चाल रची ब्रह्मंडा, पृथमीं मारि करी नव खंडा ।
अविगत पुरिस की गति लखी न जाई, दास कबीर अगह रहे ल्यौ लाई ।1


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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।