रविवार, जनवरी 29, 2012

भक्ति को अंग 2


छिमा खेत भल जोतिये, सुमिरन बीज जमाय।
खंड ब्रह्मांड सूखा पङै, भक्ति बीज नहि जाय॥

जल ज्यौं प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम।
माता प्यारा बालका, भक्ति प्यारी राम॥

प्रेम बिना जो भक्ति है, सो निज दंभ विचार।
उदर भरन कै कारनै, जनम गंवायो सार॥

भाग बिना नहिं पाइये, प्रेम प्रीति का भक्त।
बिना प्रेम नहि भक्ति कछु, भक्त भर्यो सब जक्त॥

जहाँ भक्त तहाँ भेष नहि, वरनाश्रम तहाँ नाहि।
नाम भक्ति जो प्रेम सों, सो दुरलभ जग मांहि॥

भाव बिना नहि भक्ति जग, भक्ति बिना नहि भाव।
भक्ति भाव इक रूप है, दोऊ एक सुभाव॥

गुरू भक्ति अति कठिन है, ज्यौं खांडे की धार।
बिना सांच पहुँचै नहीं, महा कठिन व्यवहार॥

कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय।
भक्ति करै कोइ सूरमा, जाति बरन कुल खोय॥

जाति बरन कुल खोय के, भक्ति करै चित लाय।
कहैं कबीर सतगुरू मिलै, आवागवन नसाय॥

जब लग भक्ति सकाम है, तब लग निस्फ़ल सेव।
कहै कबीर वह क्यौं मिलै, निहकामी निज देव॥

जान भक्त का नित मरन, अनजाने का राज।
सर औसर समझै नहीं, पेट भरन सों काज॥

मन की मनसा मिटि गई, दुरमति भइ सब दूर।
जन मन प्यारा राम का, नगर बसै भरपूर॥

मेवासा मोहै किया, दुरिजन काढ़ै दूर।
राज पियारे राम का, नगर बसै भरपूर॥

आरत ह्वै गुरू भक्ति करु, सब कारज सिध होय।
करम जाल भौजाल में, भक्त फ़ंसे नहि कोय॥

आरत सों गुरूभक्ति करु, सब सिध कारज होय।
कूपा मांग्या राछ है, सदा न फ़वसी कोय॥

सबसों कहूं पुकार कै, क्या पंडित क्या सेख।
भक्ति ठानि सब्दै गहै, बहुरि न काछै भेष॥

देखा देखी भक्ति का, कबहु न चढ़सी रंग।
विपति पङै यौं छांङसी, केंचुली तजत भुजंग॥

देखा देखी पकङिया, गई छिनक में छूट।
कोइ बिरला जन बाहुरै, जाकी गहरी मूठ॥

तोटै में भक्ति करै, ताका नाम सपूत।
मायाधारी मसखरै, केते गये अऊत॥

ज्ञान संपूरन ना भिदा, हिरदा नांहि जुङाय।
देखा देखी भक्ति का, रंग नहीं ठहराय॥

खेत बिगार्यो खरतुआ, सभा बिगारी कूर।
भक्ति बिगारी लालची, ज्यौं केसर में धूर॥

तिमिर गया रवि देखते, कुमति गई गुरूज्ञान।
सुमति गई अति लोभ से, भक्ति गई अभिमान॥

निर्पक्षी की भक्ति है, निर्मोही को ज्ञान।
निरदुंदी की मुक्ति है, निर्लोभी निरबान॥

विषय त्याग वैराग है, समता कहिये ज्ञान।
सुखदाई सब जीव सों, यही भक्ति परमान॥

विषय त्याग वैराग रत, समता हिये समाय।
मित्र सत्रु एकौ नहीं, मन में राम बसाय॥

कोई टिप्पणी नहीं:

WELCOME

मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।