सोमवार, जनवरी 23, 2012

संगति को अंग 4


साधू सब्द सुलच्छना, गांधी हाट बनेह।
जो जो मांगे प्रीति सों, सो सो कौङी देह॥

तरुवर जङ से काटिया, जबै सम्हारो जहाज।
तारै पन बोरै नहीं, बाँह गहै की लाज॥

साधु संगति गुरूभक्ति जु, निष्फ़ल कबहूं न जाय।
चंदन पास है रूखङा, कबहुँक चंदन भाय॥

संत सुरसरी गंगजल, आनि पखारा अंग।
मैले से निरमल भये, साधूजन के संग॥

चर्चा करु तब चौहटे, ज्ञान करो तब दोय।
ध्यान धरो तब एकिला, और न दूजा कोय॥

संगति कीजै साधु की, दिन दिन होवै हेत।
साकट काली कामली, धोते होत न सेत॥

साधु संगति गुरूभक्ति रु, बढ़त बढ़त बढ़ि जाय।
ओछी संगति खर सब्द रु, घटत घटत घटि जाय॥

संगति ऐसी कीजिये, सरसा नर सों संग।
लर लर लोई होत है, तऊ न छाङै रंग॥

सत संगति सबसों बङी, बिन संगति सब ओस।
सतसंगति परमानता, कटै करम को दोस॥

साहिब दरसन कारनै, निसदिन फ़िरूं उदास।
साधू संगति सोधि ले, नाम रहै उन पास॥

तेल तिली सों ऊपजै, सदा तेल को तेल।
संगति को बेरो भयो, ताते नाम फ़ुलेल॥

हरिजन केवल होत हैं, जाको हरि का संग।
विपति पङै बिसरै नहीं, चङै चौगुना रंग॥
सेवक को अंग

सेवक सेवा में रहै, अन्त कहूं नहि जाय।
दुख सुख सिर ऊपर सहै, कहैं कबीर समुझाय॥

सेवक सेवा में रहै, सेवक कहिये सोय।
कहैं कबिर सेवा बिना, सेवक कभी न होय॥

सेवक मुखै कहावई, सेवा में दृढ नांहि।
कहैं कबीर सो सेवका, लख चौरासी मांहि॥

सेवक सेवा में रहै, सेव करै दिन रात।
कहैं कबीर कूसेवका, सनमुख ना ठहराव॥

सेवक फ़ल मांगै नहीं, सेव करै दिन रात।
कहैं कबीर ता दास पर, काल करै नहिं घात॥

सेवक स्वामी एक मत, मत में मत मिल जाय।
चतुराई रीझै नहीं, रीझै मन के भाय॥

सेवक कुत्ता राम का, मुतिया वाका नांव।
डोरी लागी प्रेम की, जित खैंचे तित जांव॥

तू तू करु तो निकट ह्वै, दुर दुर करु तो जाय।
ज्यौं गुरू राखै त्यौं रहै, जो देवै सो खाय॥

फ़ल कारन सेवा करै, निसदिन जाँचे राम।
कहैं कबीर सेवक नहीं, चाहै चौगुना दाम॥

सब कुछ गुरू के पास है, पाइये अपने भाग।
सेवक मन सोंप्या रहै, रहै चरन में लाग॥

सदगुरू सब्द उलंघि कर, जो सेवक कहुँ जाय।
जहाँ जाय तहाँ काल है, कहैं कबीर समुझाय॥

सतगुरू बरजै सिष करै, क्यौं करि बाचै काल।
दहुँ दिसि देखत बहि गया, पानी फ़ूटी पाल॥

सतगुरू कहि जो सिष करै, सब कारज सिध होय।
अमर अभय पद पाइये, काल न झांकै कोय॥

साहिब को भावै नहीं, सों हमसों जनि होय।
सदगुरू लाजै आपना, साधु न मानै कोय॥


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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।