शुक्रवार, फ़रवरी 10, 2012

परिचय को अंग 4

गगन गरजि बरसै अमी, बादल गहिर गम्भीर।
चहुँदिस दमके दामिनी, भीजै दास कबीर॥

गगन मंडल के बीच में, झलकै सत का नूर।
निगुरा गम पावै नहीं, पहुँचै गुरूमुख सूर॥

गगन मंडल के बीच में, महल पङा इक चीन्हि।
कहै कबीर सो पावई, जिहि गुरू परचै दीन्हि॥

गगन मंडल के बीच में, बिना कलम की छाप।
पुरुष तहाँ एक रमि रहा, नहीं मन्त्र नहि जाप॥

गगन मंडल के बीच में, तुरी तत्त इक गांव।
लच्छ निसाना रूप का, परखि दिखाया ठांव॥

गगन मंडल के बीच में, जहाँ सोहंगम डोर।
सब्द अनाहद होत है, सुरति लगी तहँ मोर॥

गरजै गगन अमी चुवै, कदली कमल प्रकास।
तहाँ कबीरा संतजन, सत्तपुरुष के पास॥

गरजै गगन अमी चुवै, कदली कमल प्रकास।
तहाँ कबीरा बंदगी, कर कोई निजदास॥

दीपक जोया ज्ञान का, देखा अपरम देव।
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव॥

मान सरोवर सुगम जल, हंसा केलि कराय।
मुक्ताहल मोती चुगै, अब उङि अंत न जाय॥

सुन्न महल में घर किया, बाजै सब्द रसाल।
रोम रोम दीपक भया, प्रगटै दीन दयाल॥

पूरे से परिचय भया, दुख सुख मेला दूर।
जम सों बाकी कटि गई, साईं मिला हजूर॥70

सुरति उङानी गगन को, चरन बिलंबी जाय।
सुख पाया साहेब मिला, आनंद उर न समाय॥

जा वन सिंघ न संचरै, पंछी उङि नहि जाय।
रैन दिवस की गमि नही, रहा कबीर समाय॥

सीप नही सायर नही, स्वाति बूंद भी नांहि।
कबीर मोती नीपजै, सुन्न सरवर घट मांहि॥

काया सिप संसार में, पानी बूंद सरीर।
बिना सीप के मोतिया, प्रगटे दास कबीर॥

घट में औघट पाइया, औघट माहीं घाट।
कहैं कबीर परिचय भया, गुरू दिखाई बाट॥

जा कारन मैं जाय था, सो तो मिलिया आय।
साईं ते सनमुख भया, लगा कबीरा पाय।

जा कारन मैं जाय था, सो तो पाया ठौर।
सो ही फ़िर आपन भया, को कहता और॥

जा दिन किरतम ना हता, नहीं हाट नहि बाट।
हता कबीरा संतजन, देखा औघट घाट॥

नहीं हाट नहि बाट था, नही धरति नहि नीर।

असंख जुग परलै गया, तबकी कहैं कबीर॥

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।