शुक्रवार, फ़रवरी 10, 2012

परिचय को अंग

परिचय को अंग

पिव परिचय तब जानिये, पिव सों हिलमिल होय।
पिव की लाली मुख परै, परगट दीसै सोय॥

लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल।
लाली देखन मैं गयी, मैं भी हो गई लाल॥

जिन पांवन भुईं बहु फ़िरै, घूमें देस विदेस।
पिया मिलन जब होईया, आंगन भया विदेस॥

उलटि समानी आप में, प्रगटी जोति अनंत।
साहिब सेवक एक संग, खेलें सदा बसंत॥

जोगी हुआ झक लगी, मिटि गइ ऐंचातान।
उलटि समाना आप में, हुआ ब्रह्म समान॥

हम वासी वा देस के, जहाँ पुरुष की आन।
दुख सुख कोइ व्यापै नहीं, सब दिन एक समान॥

हम वासी वा देस के, बारह मास बसंत।
नीझर झरै महा अमी, भीजत हैं सब संत॥

हम वासी वा देस के, गगन धरन दुइ नांहि।
भौंरा बैठा पंख बिन, देखौ पलकों मांहि॥

हम वासी वा देस के, जहाँ ब्रह्म का कूप।
अविनासी बिनसै नहीं, आवै जाय सरूप॥

हम वासी वा देस के, आदि पुरुष का खेल।
दीपक देखा गैब का, बिन बाती बिन तेल॥

हम वासी वा देस के, बारह मास विलास।
प्रेम झरै बिगसै कमल, तेजपुंज परकास॥

हम वासी वा देस के, जाति वरन कुल नांहि।
सब्द मिलावा ह्वै रहा, देह मिलावा नांहि॥

हम वासी वा देस के, रूप वरन कछु नांहि।
सैन मिलावा ह्वै रहा, शब्द मिलावा नांहि॥

हम वासी वा देस के, पिंड ब्रह्मंड कछु नांहि।
आपा पर दोइ बिसरा, सैन मिलावा नांहि॥

हम वासी वा देस के, गाजि रहा ब्रह्मंड।
अनहद बाजा बाजिया, अविचल जोत अखंड॥

संसै करौं न मैं डरौं, सब दुख दिये निवार।
सहज सुन्न में घर किया, पाया नाम अधार॥

बिन पांवन का पंथ है, बिन बस्ती का देस।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।