शनिवार, नवंबर 26, 2011

गुरू शिष्य हेरा को अंग

गुरू शिष्य हेरा को अंग

ऐसा कोई ना मिला, हमको दे उपदेस।
भौसागर में डूबते, कर गहि काढ़े केस॥

ऐसा कोई ना मिला, घर दे अपन जराय।
पाँचौ लङके पटकि के, रहै नाम लौ लाय॥

ऐसा कोई ना मिला, जासों कहूं दुख रोय।
जासों कहिये भेद को, सो फ़िर वैरी होय॥

ऐसा कोई ना मिला, सब विधि देय बताय।
सुन्न मंडल में पुरुष है, ताहि रहूं लौ लाय॥

ऐसा कोई ना मिला, समझै सैन सुजान।
ढोल दमामा ना सुनै, सुरति बिहूना  कान॥

ऐसा कोई ना मिला, समझै सैन सुजान।
अपना करि किरपा करै, लो उतारि मैदान॥

ऐसा कोई ना मिला, जासो कहूं निसंक।
जासों हिरदा की कहूं, सो फ़िर मांडै कंक॥

ऐसा कोई ना मिला, जलती जोति बुझाय।
कथा सुनावै नाम की, तन मन रहै समाय॥

ऐसा कोई ना मिला, टारै मन का रोस।
जा पैडे साधु चले, चलि न सकै इक कोस॥

ऐसा कोई ना मिला, सब्द देऊं बतलाय।
अक्षर और निहअक्षरा, तामें रहै समाय॥

हम घर जारा आपना, लूका लीन्हा हाथ।
वाहू का घर फ़ूंक दूं, चलै हमारे साथ॥

हम देखत जग जात है, जग देखत हम जांहि।
ऐसा कोई ना मिला, पकङि छुङावै बांहि॥

सरपहि दूध पियाइये, सोई विष ह्वै जाय।
ऐसा कोई ना मिला, आपैहि विष खाय॥

तीन सनेही बहु मिले, चौथा मिला न कोय।
सबहि पियारे राम के, बैठे परबस होय।

जैसा ढ़ूंढ़त मैं फ़िरूं, तैसा मिला न कोय।
ततवेता तिरगुन रहित, निरगुन सो रत होय॥

सारा सूरा बहु मिले, घायल मिला न कोय।
घायल को घायल मिले, राम भक्ति दृढ़ होय॥

माया डोलै मोहती, बोले कङुवा बैन।

कोई घायल ना मिला, सांई हिरदा सैन॥

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।