शनिवार, अप्रैल 17, 2010

कहहिं कबीर चित चेतहु भाई


                          रमैनी 55

गए राम औ गए लछमना, संगन गै सीता अस धना ।
जात कौरवै लागु न बारा, गये भोज जिन्ह साजल धारा?
गए पंडव कुन्ती अस रानी, गए सहदेव जिन मति बुधि ठानी ।
सर्ब सोने के लंक उठाई, चलब बार कछु संग न लाई ।
कुरिया जासु अंतरिछ छाई, सो हरिचंद्र देखि नहिं जाई ।
मूरख मानुष बहुत संजोई, अपने मरे और लग रोई?
ई न जान अपनौ मरि जैबे, टका दस बिढ़े ओर लै खैबै?

अपनी अपनी करि गए, लागि न काहु के साथ ।
अपनी करि गए रावणा, अपनी दसरथ नाथ ।

                             रमैनी 56

दिन दिन जरे जननि के पाऊ, गडे जाए न उमगै काऊ ।
कंधा देई मसखरी करई, कहुधौ कवनि भांति निस्तरई ।
अकरम करै करम को धावै, पढि गुनि वेद जगत समुझावै?
छंछे परे अकारथ जाई, कहहिं कबीर चित चेतहु भाई ।

                            रमैनी 57

क्रितिया सूत्र लोक एक अहई, लाख पचास कि आइस कहई?
विद्या वेद पढै पुनि सोई, बचन कहत परतछै होई ।
पैठि बात विद्या के पेटा, बाहु के भर्म भया संकेता ।

खग खोजन के तुम परे, पाछे अगम अपार ।
बिन परिचय कस जानि हौ, झूठा है हंकार ।

                        रमैनी 58

तै सुत मानु हमारी सेवा, तो कहँ राज देउँ हो देवा ।
अगम दृगम गढ देउँ छोडाई, औरो बात सुनहु कछु आई ।
उत्पति परलय देउँ देखाई, करहु राज सुख बिलसहु जाई ।
एकौ बार न होय है बांको, बहुरि जन्म नहिं होइ हैं ताको ।
जाय पाप सुख होवे घाना, निश्चै बचन कबीर के माना ।

साधु संत तेई जना, जिन मानल बचन हमार ।
आदि अंत उत्पत्ति प्रलय, देखहु दृष्टि पसार ।


1 टिप्पणी:

Urmi ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

WELCOME

मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।