शनिवार, मई 01, 2010

अल्ला राम जीव तेरी नाईँ


शब्द 94

कहो निरंजन कौनी बानी ।
हाथ पांव मुष स्रवन जीभ बिनु काकहि जपहु हो प्रानी ।
ज्योतिहि ज्योति ज्योति जो कहिये ज्योति कवन सहिदानी ।
ज्योतिहि ज्योति ज्योति दै मारै तब कहाँ ज्योति समानी ।
चार बेद ब्रह्मै जो कहिया उनहुँ न या गति जानी ।
कहैँ कबीर सुनो हो संतो बूझो पंडित ग्यानी ।

शब्द 95

को अस करै नगर कोट वरिया मांस फैलाय गीध रषवरिया ।
मूस भौ नाव मंजार कँडिहरिया सोवै दादुर सर्प पहरुवा ।
बैल बियाय गाइ भइ बांझी बछरा दुहिया तीनि तीनि साझी ।
नित उठि सिंह सियार सो जूझै कबिरा के पद बिरला बूझै ।

शब्द 96

काको रोओगे बहुतेरा बहुतक मुअल फिरल नहिं फेरा ।
हम रोया तब तुम न सँभारा, गर्भ बास की बात बिचारा ।
अब तै रोया क्या तैं पाया, केहि कारन अब मोहि रोवाया ।
कहैं कबीर सुनो भाई सन्तो, काल के बसहि परो मत कोई ।

शब्द 97

अल्ला राम जीव तेरी नाईँ, जा पर मेहर होहु तुम साइँ ।
क्या मूडी भूमी सिर नाये, क्या जल देह नहाये ।
षून करै मसकीन कहावै, औगुन रहत छिपाये ।
क्या उजुब जप मंजन कीये, क्या मसजिद सिर नाये ।
हृदय कपट निमाज गुजारे क्या हज मक्के जाये ।
हिंदू ब्रत एकादसि चौबिस तीस रोजा मुसलमाना ।
ग्यारह मास कहो किन टारे एक महीना आना ।
जो षुदाय मसजीद बसतु हैं और भुलुक केहि केरा ।
तीरथ मूरत राम निवासी दुइ में किनहु न हेरा ।
पूरब दिसों में हरि का बासा पच्छिम अलह मुकामा ।
दिल में षोजि दिलहि मा षोजो इहै करीमा रामा ।
बेद किताब कहो किन झूठा झूठा जौ न विचारे ।
सब घट एक एक कै लषै मैं दूजा करि मारै ।
जेते औरत मर्द उपानी सो सब रूप तुम्हारा ।
कबीर पोंगरा अलह राम का सो गुरु पीर हमारा ।

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मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।