मानुस जन्म नर पाय के । चूके अबकी घात ।
जाय परे भव चक्र में । सहै घनेरी लात ।
रत्न रत्न की यत्न करु । माटी का सिंगार ।
आया कबीरा फिंगरिया । झूठा है संसार ।
मानुस जन्म दुर्लभ अहै । बहुरि न दूजी बार ।
पका फल जो गिर परा । बहुरि न लागै डार ।
बाँह मरोरे जात हो । सोवत लिये जगाय ।
कहैं कबीर पुकारि कै । पैडे होके जाए ।
साषि पुलंदर ढहि परे । बिबि अक्षर जुग चार ।
रसना रम्भन होत है । करि न सकै निरुवार ।
बेडा बांधिन सर्प का । भवसागर के मांह ।
जो छोडै तो बूडई । गहै डसिहै बांह ।
हाथ कटोरा षोआ भरा । मग जोहत दिन जाए ।
कबिरा उतरा चित्त से । छाँछ दियो नहिं जाए ।
एक कहौं तो है नहीं । दुइ कहौं तो गारि ।
है जैसा तैसा रहै । कहैं कबीर बिचारि ।
अमृत केरी पुरिया । बहु बिधि दीन्हा छोर ।
आप सरीषा जो मिलै । ताहि पिआवहु घोर ।
अमृत केरी मोटरी । सिर से धरी उतार ।
जाहिं कहौं मैं एक है । मोहिं कहै दुइ चार ?
जाको मुनिवर तप करै । बेद थके गुनाए ।
सोई देउ सिषायना । कोई नहीं पतियाय ।
एक ते हुआ अनन्त । अनन्त ते एकहि आए ।
एक ते परिचय भई । एकै माहि अनन्त समाए ।
एक सब्द गुरुदेव का । ताका अनन्त बिचार ।
थाके मुनिवर पंडिता । बेद न पावै पार ।
राऊर के पिछवारे । गावै चारिउ सैंन ।
जीव परा बहु लूट में । ना कछु लेन ना देन ।
चौगोडा के देषते । ब्याधा भागा जाए ।
अचरज एक देषो हो संतो । मुवा काल को षाय ।
तीन लोक चोरी भई । सबका सरबस लीन्ह ।
बिना मूड का चोरवा । परा न काहू चीन्ह ।
चक्की चलती देषि के । नयनन आया रोए ।
दो पट भीतर आय के । साबुत गया न कोए ।
चार चोर चोरी चले । पगु की पनही उतार ।
चारो दर थूनी हनी । पंडित करहु बिचार ।
बलिहारी वह दूध की । जामैं निकसै घीव ।
आधी साषी कबीर की । चार बेद का जीव ।
बलिहारी तेहि पुरुस की । परचित परषनहार ।
साँई दीन्हो षाँड की । षारी बूझ गँवार ।
बिस के बिषे घर किया । रहा सर्प लपटाय ।
ताते जियरे डर भया । जागत रैन बिहाय ।
जोई घर है सर्प का । सो घर साध न होय ।
सकल संपदा लय गई । बिसभर लागा सोए ।
घुंघुची भर के बोइये । उपजै पसेरी आठ ।
डेरा परा काल का । सांझ सकारे जात ।
मन भर के बोइये । घुंघुची भरना होए ।
कहा हमार मानै नहीं । अंतहु चला बिगोए ।
आपा तजै हरि भजै । नष सिष तजै बिकार ।
सब जीवन से निरभे रहे । साध मता हैं सार ।
पछा पछी के कारने । सब जग रहा भुलान ।
निरपक्ष होके हरि भजै । सोई संत सुजान ।
बडे ते गये बडापने । रोम रोम हंकार ।
सतगुरु की परिचय बिना । चारो बरन चमार ।
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hari om narayan
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