शनिवार, मई 01, 2010

पांचवां छठवां कहरा


अथ पांचवां कहरा

राम नाम भजु राम नाम भजु, चेति देखु मन माहीं हो ।
लक्ष करोरि जोरि धन गाङे, चले डोलावत वाहीं हो ॥
दाऊ दादा औ परपाजा, उइ गाङे भुइ भांङे हो ।
अंधरे भये हिया की फ़ूटी, तिन काहे सब छांङे हो ॥
ई संसार असार को धन्धा, अंतकाल कोइ नाहीं हो ।
उपजत बिनशत वार न लागै, ज्यों बादर की छांहीं हो ॥
नाता गोता कुल कुटुम्ब सब, तिनकी कवनि बङाई हो ।
कह कबीर यक राम भजे बिन बूङी सब चतुराई हो ॥

अथ छठवां कहरा

राम नाम बिनु राम नाम बिनु, मिथ्या जन्म गंवाई हो ।
सेमर सेइ सुवा जो जहङे, ऊन परे पछिताई हो ॥
जैसे मदिप गांठि अर्थै दै, घरहु की अकिल गंवाई हो ।
स्वादे उदर भरत धौं कैसे, ओसे प्यास न जाई हो ।
द्र्व्यक हीन कौन पुरुषारथ, मनही माहँ तवाई हो ॥
गांठी रतन मर्म नहिं जानेहु, पारख लीन्ही छोरी हो ।
कह कबीर यह अवसर बीते, रतनन मिलै बहोरी हो ॥


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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।