शनिवार, मई 01, 2010

तीसरा हिंडोला और साखी


अथ तीसरा हिंडोला

जहँ लोभ मोह के खम्भ दोऊ, मन रच्यो हौ हिंडोर ।
तहँ झुलहिं जीव जहान, जहँ लगि कतहुँ नहिं थिति ठोर ।
चतुरा झुलैं चतुराइया, औ झूलैं राजा सेव ।
अरु चन्द्र सूरज दोऊ झूलहिं, नाहिं पायो भेव ॥
चौरासि लक्षहु जीव झूलैं, धरहिं रविसुत धाय ।
कोटिन कलप युग बीतिया, मानै न अजहूं हाय ॥
धरणी अकाशहु दोऊ झूलैं, झुलैं पवनहुँ नीर ।
धरि देह हरि आपहू झूलहिं, लखहिं हंस कबीर ॥

साखी प्रारम्भ

जहिया जन्म मुक्ता हता, तहिया हता न कोय ।
छठी तुम्हारी हौं जगा, तू कहँ चला बिगोय ।

सब्द हमार तू सब्द का, सुनि मति जाहु सरक ।
जो चाहो निज तत्व को, तो सब्दहि लेहु परष ।

सब्द हमारा आदि का, सब्दै पैठा जीव ।
फूल रहन की टोकरी, घोडे षाया घीव ।

सब्द बिना सुरति आंधरी, कहो कहाँ को जाय ।
द्वार न पावै सब्द का, फिर फिर भटका षाय ।

सब्द सब्द बहु अन्तरे, सार सब्द मथि लीजै ।
कहैं कबीर जहँ सार सब्द नहिं, धृग जीवन सो जीजै ।

सब्दै मारा गिर परा, सब्दै छोडा राज ।
जिन जिन सब्द बिवेकिया, तिनका सरिगो काज ।

सब्द हमारा आदि का, पल पल करहू याद ।
अन्त फलेगी माहली, ऊपर की सब बाद ।

जिन जिन संमल ना कियो, अस पुरपाटन पाय ।
झालि परे दिन आथये, संमल कियो न जाय ।

यहाँई संमल लेहुकर, आगे बिषमी बाट ।
स्वर्ग विसाहन सब चले, जहँ बनियाँ नहिं हाट ।

जो जानहु जिव आपना, करहु जीव को सार ।
जियरा ऐसा पाहुना, मिलै न दूजी बार ।

जो जानहु जग जीवना, जो जानहु सो जीव ।
पानी पचवहु आपना, पानी माँगि न पीव ।

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मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।