शनिवार, मई 01, 2010

दूसरी चाचरि


अथ दूसरी चाचरि

जारहु जग को नेहरा मन बौराहो ।
जामें शोक संताप समुझ मन बौराहो ॥
काल बूत को हस्तिनी मन बौराहो ।
चित्र रचौ जगदीश समुझ मन बौराहो ॥
बिना नेइ को देवघरा मन बौराहो ।
बिन कहगिल कै ईंट समुझ मन बौराहो ॥
तन धन सो क्या गर्व समुझ मन बौराहो ।
भसम क्रीम की साजु समुझ मन बौराहो ॥
काम अन्ध गज वश परे मन बौराहो ।
अंकुश सहिया शीश समुझ मन बौराहो ॥
ऊँच नीच जानेहु नहीं मन बौराहो ।
घर घर नाचेहु द्वार समुझ मन बौराहो ॥
मरकट मूठी स्वाद की मन बौराहो ।
लीन्हों भुजा पसार समुझ मन बौराहो ॥
छूटन की संशय परी मन बौराहो ।
घर घर खायो डांग मन बौराहो ॥
ज्यों सुवना नलिनी गह्यो मन बौराहो ।
ऐसा मर्म विचार समुझ मन बौराहो ॥
पढ़े गुने का कीजिये मन बौराहो ।
अंत विलैया खाय समुझ मन बौराहो ॥
सूने घर का पाहुना मन बौराहो ।
ज्यों आवै त्यों जाय समुझ मन बौराहो ॥
नहाने को तीरथ घनी मन बौराहो ।
पूजै का बहुदेव समुझ मन बौराहो ॥
बिन पानी नर बूङिया मन बौराहो ।
तुम टेकहु राम जहाज समुझ मन बौराहो ॥
कह कबीर जग भर्मिया मन बौराहो ।
तुम छोङे हरि का सेव समुझ मन बौराहो ॥

कोई टिप्पणी नहीं:

WELCOME

मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।