अथ बेलि प्रारम्भ
हंसा सरवर सरिरहो रमैया राम ।
जगत चोर घर मूसल हो रमैया राम ॥
जो जागल सो भागल हो रमैया राम ।
सोवत गैल बिगोय हो रमैया राम ॥
आज बसेरा नियरे हो रमैया राम ।
काल्हि बसेरा दूरि हो रमैया राम ॥
परेहु बिराने देश हो रमैया राम ।
नैन मरैंगे ढूंढ़ि हो रमैया राम ॥
त्रास मथन दधि मथन कियो हो रमैया राम ।
भवन मथ्यो भरि पूरि हो रमैया राम ॥
हंसा पाहन भयल हो रमैया राम ।
बेधि न पद निर्वान हो रमैया राम ॥
तुम हंसा मन मानिक हो रमैया राम ।
हटल न मानल मोर हो रमैया राम ॥
जस रे कियो तस पायो हो रमैया राम ।
हमर दोष जनि देहु हो रमैया राम ॥
अगम काटि गम कीन्हो हो रमैया राम ।
सहज कियो बैपार हो रमैया राम ॥
राम नाम धन बनिजहु हो रमैया राम ।
लादेहु वस्तु अमोल हो रमैया राम ॥
नौ बहिया दश गौन हो रमैया राम ।
पांच लदनवा लादे साथ हो रमैया राम ॥
पांच लदनवा परे हो रमैया राम ।
खाखरि डारिनि खोरि हो रमैया राम ॥
शिर धुन हंसा चले हो रमैया राम ।
सरवर मीत जोहार हो रमैया राम ॥
आगी सरवर लागि हो रमैया राम ।
सरवर भो अरि क्षार हो रमैया राम ॥
कहै कबीर सुनो सन्तो हो रमैया राम ।
परखि लेहु खर खोट हो रमैया राम ॥
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